पौड़ी –
आज एनएसजी यानी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड फोर्स का स्थापना दिवस है। आज ही के दिन एनएसजी का गठन हुआ था। इसी के साथ बीते 32 सालों से एनएसजी का कोई अधिकारी पौड़ी जिले के बैंज्वाडी गांव पहुॅचकर शहीद जवान को श्रद्वांजली भी देता है
देश की सुरक्षा के लिए मर मिट जाना पहाड़ के जवानों के खून में है। पौड़ी की मिट्टी में न जाने ऐसा क्या है कि देश के सुरक्षा के लिए यहॉ का जवान हमेशा पहली पंक्ति में रहता है। फिर चाहे बात 72 घण्टों तक चीनी सेना से लोहा लेने वाले रायफल मैन जसंवत सिंह की हो या देश के वर्तमान सीडीएस अनिल चौहान की। पौड़ी जिले से न जाने कितने ऐसे अधिकारी व जवान निकले हैं जिन्होनें देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। ऐसा ही एक जवान है स्वर्गीय हरीश सिंह नेगी।
आज हरीश सिंह नेगी के पैतृक गांव बैंज्वाड़ी में एनएसजी के अधिकारी पहुॅचे हुए हैं। पहाड़ की गोद में बसे इस शांत से गांव में आज हलचल है। एक अलग सी रौनक यहॉ देखी जा रही है। हर कोई सहायक कमांडर स्वर्गीय हरीश सिंह नेगी की तस्वीर को देख नम आंखों से श्रद्वांजली दे रहा है। 6 जुलाई 1990 को में पंजाब में हुए आतंकी हमले में पौड़ी के वीर सपूत व एनएसजी में सहायक कमांडर हरीश सिंह आंतकी मुठभेड़ में शहीद हो गये थे। दरअसल यहॉ आंतकियों के होने की सूचना थी। आतंकी गतिविधियों के सक्रीय रहने पर वरनाला और पूनिया गांव के बीच एनएसजी ने गस्त देनी शुरू कर दी। इसी बीच कुछ आतंकी जब एनएसजी के करीब आने लगे तो टीम को लीड कर रहे एनएसजी के सहायक कमांडर ने आतंकियों पर सबसे पहले फायर शुरू कर दी। वही आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में आतंकियों ने पीछे से हमला कर सहायक कमांडर हरीश रावत पर गोलियां चलाते गये। जिसमें वे शहीद हो गए वही उनके बलिदान को अब भी याद कर उन्हें एनएसजी आज भी श्रद्धांजलि देने उनके गांव पहुँचती है।
हर साल 16 अक्टूबर एनएसजी राइजिंग डे के दिन एनएसजी द्वारा शहीद के गांव पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। साथ ही परिजनों को आर्थिक सहायता के रूप में एक लाख रुपये की सहायता धनराशि भी देती है। परिजनों को भी बलिदान पर गर्व है। एनएसजी द्वारा बीते 32 सालों से लगातार गांव पहुंचकर कुशलक्षेम जानने से भी परिजनों में खुश दिखाई देते हैं।। लेकिन परिजनों के मन में एक टीस है, दर्द हरीश सिंह नेगी के नाम पर बनाए गए सरकारी विद्यालय की जर्जर अवस्था। परिजनों का कहना है कि इस संबंध में प्रदेश सरकार को कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं। लेकिन सरकार की और से कोई सकारात्मक रवैया नहीं रहा है।
बहरहाल सेना तो अपने जवानों को याद करती रहती है और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा भी रही है। लेकिन सरकार भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा ले तो न जाने कितने ही ओर हरीश सिंह रावत हमें देश की रक्षा के लिए खड़े होते दिखाई देंगे।