श्रीनगर : श्रीनगर से 20 किलोमीटर दूर दहलचौरी के कामदाह पर्वत पर स्थिति मंजूघोषेश्वर महादेव के धाम में आज देव निशाणों का समागम देखने को मिला। यहां बड़ी संख्या में दूर दराज के गांवों से देव निशान पहुंचे। जिन्हें विधि विधान के साथ भागवान शंकर को अर्पित किया गया। इस दौरान मंजूघोष मंदिर में दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
कोरोना काल के बाद इस बार भव्य रूप से आयोजित हुए कांडा मेले में भी बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने पहुंच खरीददारी की। इस अवसर के साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी लोग भी यहां पहुंचे। हर वर्ष दीपावाली के बाद देहलचौरी में कांडा मेला आयोजित किया जाता है। जिसके तहत मंजूघोष महादेव के मंदिर में लोग दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
मान्यता है कि जिस गांव के लोगों की मनोकामनाए पूरी होती है उस गांव के लोग यहां भगवान शंकर को झंड़ा रूप निशान चढ़ाते हैं। इसके लिए गांव के गांव ढोल की थाम पर नृत्य करते हुए यहां पहुंचते हैं। जिसे देखने के लिए यहां लोगों का हूजम उमड़ता है। भैया दूज के दिन मेले का समापन होता है। इसे बड़ा कांडा के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता मेहरवान सिंह रावत बताते है कि पौड़ी जनपद के साथ साथ गढ़वाल क्षेत्र के लोगों की अटूट आस्था इस मेले के प्रति सदियों से रही है। पहले इस मेले में बलि प्रथा का प्रचलन था लेकिन बदलते समय के साथ-साथ मेले में बदलाव देखा गया। वे बताते हैं कि जहां आधुनिकता के दौर में तमाम बड़े मेलों के आकार छोटे हो रहे हैं वही यह मेला हर साल ख्याति प्राप्त कर रहा है। यह भगवान शंकर के प्रति सच्ची आस्था ही तो है।